Wednesday 28 December 2016

हमारे पास एक-एक पैसे का हिसाब है, बीजेपी के खातों में जमा पैसे की जानकारी दें मोदी - मायावती

बहुजन समाज पार्टी और अपने भाई आनंद कुमार के अकाउंट की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच के बाद मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। मायावती ने कहा, 'बीएसपी ने काला धन नहीं जमा किया है और अगर बीएसपी के अकाउंट की जांच हो रही है तो बीजेपी यह भी बताए कि नोटबंदी से पहले और बाद में उसके अकाउंट में कितना पैसा जमा किया गया है।'

मायावती ने नोटबंदी के फैसले की आलोचना करते हुए कहा, 'अगर बीजेपी नोटबंदी की ही तरह एक-दो और फैसले ले लेती है तो उत्तर प्रदेश में बीएसपी को जीतने से कोई नहीं रोक सकता। बीजेपी खुद ही हार जाएगी।' मायावती ने कहा कि बीएसपी ने अपने नियमों के मुताबिक ही चलकर एक रूटिन प्रक्रिया के तहत ही पैसेबैंक में जमा कराए हैं। पार्टी के खाते में जमा कराए गए पैसों का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग पार्टी के मेंबर बनते हैं वे छोटे नोट नहीं बल्कि बड़े नोट में चंदा देते हैं।

Wednesday 21 December 2016

गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती

गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 
सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियों सों मैं बाज तड़ऊँ तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊँ” यह पंक्तियां सिख धर्म के दसवें और आखिरी गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन को समझने के लिए पर्याप्त है। एक महान वीर, सैन्य कौशल में निपुण और आदर्श व्यक्तित्व वाले शख्स के रूप में इतिहास हमेशा गुरु गोबिंद सिंह जी को याद रखेगा। गुरु गोबिंद जी का जन्म पटना में 22 दिसम्बर 1666 को हुआ था। माता गुजरी जी तथा पिता श्री गुरु तेगबहादुर जी थे। कश्मीरी पंडितों के लिए संघर्ष करते हुए जब पिता गुरु तेगबहादुर जी शहीद हो गए तब इन्हें अगला गुरु बनाया गया। इनकी मृत्यु 7 अक्तूबर 1708 को हुई थी।

गुरु गोबिंद सिंह साहिब के कार्य 
गुरु गोबिंद सिंह के कुछ प्रमुख कार्य निम्न हैं:-
* सन 1699 में उन्होंने खालसा का निर्माण मुगल शासकों के खिलाफ लड़ने के लिए किया।
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उन्होंने सिख गुरुओं के सभी उपदेशों को गुरु ग्रंथ साहिब में संगृहीत किया।
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सिखों के नाम के आगे “सिंह” लगाने की परंपरा उन्होंने ही शुरू की।
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गुरुओं के उत्तराधिकारियों की परंपरा को समाप्त किया और गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों के लिए गुरु का प्रतीक बनाया।
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युद्ध में सदा तैयार रहने के लिए उन्होंने पंच ककारों को सिखों के लिए अनिवार्य बनाया जिसमें केश, कंघा, कच्छा, कड़ा और कृपाण शामिल हैं।
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चंडी दीवार” नामक गुरु गोबिन्द सिंह जी की रचना सिख साहित्य में विशेष महत्त्व रखती है।

गुरु गोबिन्द सिंह जी सिख आदर्शों को जिंदा रखने के लिए किसी भी हद तक गुजरने को तैयार थे। मुगलों से सिख वर्चस्व की लड़ाई में उन्होंने अपने बेटों की कुरबानी दे दी और स्वयं भी शहीद हो गए। 

Friday 16 December 2016

16 दिसम्बर 1971 विजय दिवस

 विजय दिवस

16 दिसम्बर 1971 का दिन भारत के लिए विजय दिवस कहलाता है। वर्तमान समय में ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं होगी, लेकिन आज देश के लिए वो दिन है जिसपर हर भारतीय को गर्व महसूस होता रहेगा। आज के दिन ही वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान 16 दिसंबर को ही भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी और उसी जीत को पूरा हिन्दुस्तान 'विजय दिवस' के रूप में मनाता है।

93000 पाकिस्तानियों ने किया था आत्मसमर्पण

वर्ष 1971 में हुए इस भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी सेना पराजित हुई थी और 16 दिसंबर 1971 को ढाका में 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इस युद्ध के 12 दिनों में अनेक भारतीय जवान शहीद हुए और हजारों घायल हो गए। पाक सेना का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर हार स्वीकार की थी।

3,900 भारतीय जवान इस जंग में हुए थे शहीद

भारत-पाक युद्ध के समय जनरल सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के प्रमुख थे। इस जंग के बाद बांग्लादेश के रूप में विश्व मानचित्र पर नये देश का उदय हुआ। तक़रीबन 3,900 भारतीय जवान इस जंग में शहीद हुए और 9,851 जवान घायल हुए। एक समय था जब पाकिस्तान पर मिली इस जीत के दिन यानी 16 दिसंबर को देश भर में प्रभातफेरियां निकाली जाती थीं और जश्न का माहौल रहता था, जबकि वर्तमान समय में ऐसा नहीं देखने को नहीं मिलता है।

Monday 5 December 2016

डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर महापरिनिर्वाण दिवस

डॉ अम्बेडकर महापरिनिर्वाण दिवस 2016 में मंगलवार, 6 दिसम्बर को मनाया जायेगा। इस साल मतलब 2016 में 61वां डॉ अम्बेडकर महापरिनिर्वाण दिवस (पुण्यतिथि) मनाया जायेगा।
डॉ अम्बेडकर महापरिनिर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है?

डॉ अम्बेडकर महापरिनिर्वाण दिवस हर साल देश के प्रति डॉ भीमराव अम्बेडकर के महान योगदान को मनाने के लिए नगर निगम और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य सरकार के कर्मचारियों के संघ द्वारा एक समारोह का आयोजन करके मनाया जाता है। उनके महान प्रयास ने देश को एकजुट रखने में बहुत मदद की है। डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा लिखित भारत का संविधान अभी भी देश का मार्गदर्शन कर रहा है और आज भी ये कई संकटों के दौरान सुरक्षित रूप से बाहर उभरने में मदद कर रहा है।
भारत सरकार द्वारा डॉ अंबेडकर फाउंडेशन (वर्ष 1992 में मार्च 24 को) स्थापित किया गया, ताकि पूरे देश में लोग सामाजिक न्याय का संदेश प्राप्त कर सकें।

डॉ अंबेडकर फाउंडेशन द्वारा निम्नलिखित गतिविधियॉं की गयी है

  • जनपथ पर डॉ अम्बेडकर नेशनल पब्लिक लाइब्रेरी की स्थापना।
  • हिन्दी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं में डॉ बी आर अम्बेडकर के कामों के व्याख्यान को उपलब्ध करा रहें हैं।
  • डॉ अंबेडकर के जीवन के मिशन के साथ ही विभिन्न सम्मेलनों, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों, व्याख्यान, सेमिनार, संगोष्ठी और मेलों का आयोजन।
  • समाज के कमजोर वर्ग के लिए डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार और सामाजिक परिवर्तन के लिए डॉ अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार देना।
  • हर साल डॉ अम्बेडकर की 14 अप्रैल को जन्मोत्सव और 6 दिसंबर पर पुण्यतिथि का आयोजन।
  • अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के मेधावी छात्रों के बीच में पुरस्कार वितरित करने के लिए डॉ अम्बेडकर नेशनल मेरिट अवार्ड योजनाएं शुरू करना।
  • हिन्दी भाषा में सामाजिक न्याय संदेश की एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन।
  • अनुसूचित जाति से संबंधित हिंसा के पीड़ितों के लिए डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय राहत देना।

Sunday 13 November 2016

महान गुरु नानक देव जी

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म हिन्दू परिवार में हुआ था। उनका लालन पालन मुस्लिम पड़ोसियों के बीच हुआ। कार्तिक पूर्णिमा को गुरु नानक देव का जन्म होने के कारण ही सिख धर्म को मानने वाले इस दिन को प्रकाश उत्सव या गुरु पर्व के रूप में मनाते हैं।
उन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया, वह देवताओं की पूजा में विश्वास नहीं करते थे। नानक देव जी ने शुरू से ही रीति-रिवाजों और रूढ़ियों को तोड़ा।

तलवंडी में हुआ था जन्म
नानक देव जी का जन्म 14 अप्रैल, 1469 को उत्तरी पंजाब के तलवंडी गांव (हाल में पाकिस्तान में ननकाना) के एक हिन्दू परिवार में हुआ। नानक का नाम बड़ी बहन नानकी के नाम पर रखा गया। नानक जी के पिता तलवंडी गांव में पटवारी थे। परिवार में गुरु नानक जी के दादा जी शिवराम, दादी बनारस और चाचा लालू थे। गुरुनानक को पारसी और अरबी भाषा का भी अच्छा ज्ञान था।

बचपन से ही ध्यान साधना में लीन
नानक को बचपन से ही चरवाहे का काम दिया गया था। पशुओं को चराते समय वह घंटों तक ध्यान में रहते थे। एक दिन उनके पशुओं ने पड़ोसियों की फसल को बर्बाद कर दिया। इस पर उनके पिता ने नानक देव जी को खूब डांटा। इसके बाद जब गांव का मुखिया राय बुल्लर फसल देखने गया तो फसल सही थी। यहीं से गुरु नानक देव जी के चमत्कार शुरू हो गए।


जातिप्रथा और मूर्ति पूजा का विरोध
राय बुल्लर ने नानक देव जी की दिव्यता को समझकर उन्हें पाठशाला में रखा। इस दौरान उन्होंने हिन्दू धर्म के पवित्र जनेऊ संस्कार से गुजरने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उनका जनेऊ दया, संतोष और संयम से बंधा होगा। उन्होंने जाति प्रथा का विरोध किया और मूर्ति पूजा में भाग लेने से मना कर दिया।

भूखों को कराया भोजन
गुरु नानक का बचपन से ही रुझान अध्यात्म की तरफ ज्यादा था। उनकी इस प्रवृत्ति को देखते हुए पिता कालू ने उनका ध्यान कृषि और व्यापार में लगाना चाहा लेकिन उनके सभी प्रयास व्यर्थ सिद्ध हुए। घोड़ों के व्यापार के लिए पिता की तरफ से दिए गए 20 रुपये को नानक देव जी ने भूखों के भोजन में लगा दिया।

Tuesday 8 November 2016

छठ पूजन

छठ का त्यौहार सूर्योपासना का पर्व होता है. छठ का त्यौहार सूर्य की आराधना का पर्व है, प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अघ्र्य देकर दोनों का नमन किया जाता है. सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है, सुख-स्मृद्धि तथा मनोकामनाओं की पूर्ति का यह त्यौहार सभी समान रूप से मनाते हैं. प्राचीन धार्मिक संदर्भ में यदि इस पर दृष्टि डालें तो पाएंगे कि छठ पूजा का आरंभ महाभारत काल के समय से देखा जा सकता है. छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना कि जाती है तथा गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर के किनारे पानी में खड़े होकर यह पूजा संपन्न कि जाती है.


छठ पूजन 

छठ पूजा का आरंभ कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होता है तथा कार्तिक शुक्ल सप्तमी को इसका समापन्न होता है. प्रथम दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है नहाए-खाए के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना किया जाता है. पंचमी को दिनभर खरना का व्रत रखने वाले व्रती शाम के समय गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन प्रसाद रूप में करते हैं.

व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत करते हैं व्रत समाप्त होने के बाद ही व्रती अन्न और जल ग्रहण करते हैं. खरना पूजन से ही घर में देवी षष्ठी का आगमन हो जाता है. इस प्रकार भगवान सूर्य के इस पावन पर्व में शक्ति व ब्रह्मा दोनों की उपासना का फल एक साथ प्राप्त होता है. षष्ठी के दिन घर के समीप ही की सी नदी या जलाशय के किनारे पर एकत्रित होकर पर अस्ताचलगामी और दूसरे दिन उदीयमान सूर्य को अर्ध्य समर्पित कर पर्व की समाप्ति होती है.

छठ पर्व महत्व 

छठ पूजा का आयोजन बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त देश के कोने-कोने में देखा जा सकता है.  देश-विदेशों में रहने वाले लोग भी इस पर्व को बहुत धूम धाम से मनाते हैं. मान्यता अनुसार सूर्य देव और छठी मइया भाई-बहन है, छठ व्रत नियम तथा निष्ठा से किया जाता है  भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत द्वारा नि:संतान को संतान सुख प्राप्त होता है. इसे करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है तथा जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है. छठ के दौरान लोग सूर्य देव की पूजा करतें हैं , इसके लिए जल में खड़े होकर कमर तक पानी में डूबे लोग, दीप प्रज्ज्वलित किए नाना प्रसाद से पूरित सूप उगते और डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं और छठी मैया के गीत गाए जाते हैं.

Monday 7 November 2016

Diwali Pooja

दीपावली, भारत में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है। दीपों का खास पर्व होने के कारण इसे दीपावली या दिवाली नाम दिया गया। दीपावली का मतलब होता है, दीपों की अवली यानि पंक्ति। इस प्रकार दीपों की पंक्तियों से सुसज्ज‍ित इस त्योहार को दीपावली कहा जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह महापर्व, अंधेरी रात को असंख्य दीपों की रौशनी से प्रकाशमय कर देता है।  


दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियां हैं। हिंदू मान्यताओं में राम भक्तों के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा असुरी वृत्तियों के प्रतीक रावणादि का संहार करके अयोध्या लौटे थे।  

तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। इसीलिए दीपावली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। कृष्ण भक्तिधारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीए जलाए। एक पौराणिक कथा के अनुसार विंष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए।